विदाई के समय कैसे रोयें

शीर्षक पढकर चौंक गये? मैं भी चौंक गया था, लेकिन आपको चौंकने की जरूरत है नहीं। ये सात दिन का एक नया क्रेश कोर्स है जो हाल ही मैं कुछ यूनिवर्सिटीज में शुरू होने वाला है। बात बात पर रोने का अनुभव रखने वाली पुरखिन टाइप की औरतें इसके लिये प्रशिक्षक होंगी। मौसम है इस क्रेश कोर्स का, देवउठनी एकादशी से इस कोर्स को कर चुकने वालियों का इम्तिहान है पहला। 

इस क्रेश कोर्स की जरूरत आखिर पडी क्यों? दरअसल फेसबुक वाट्सएप ईमेल टाइप के आॅनलाइन कोर्स कर चुकने वाली पीढी को इस कोर्स की जरूरत तो पडने वाली थी ही। अब भला आप ही बताइये फेसबुक वाट्सएप पर प्यार करने वाली पीढी की लडकी विदाई के समय रोयेगी? लिव इन में रह रही लडकी भला विदा होते समय क्यों रोये? उसके रोने का कोई बाजिव कारण हो तो वो रोयें?

पिछले दिनों मैंने एक अखबार में पढा कि भोपाल की रहने वाली राधिका रानी ने इस कोर्स को करवाने व समाज का भला करने का जिम्मा उठाया है। वो ये कोर्स पूरी ग्यारंटी के साथ करवायेंगी। यदि विदाई के समय लडकी न रोये तो कोर्स के पूरे रूपये वापिस कर दिये जायेंगे। खबर बहुत रोचक थी, पढकर मैंने उस क्रेश कोर्स के सिलेबस पर गौर फरमाया तो मुझे लगा ये कोर्स 21 वीं सदी का बहुत हास्यस्पद व रोचक कोर्स हो सकता है। इसके लिये विषयवस्तु काफी प्रभावी है।

"मेली बुआ की छादी में जलूल जलूल आना" कहने वाला गुड्डू अभी बोलना भी नहीं सीखा और शादी वाले दिन उसको न्यूमोनिया हो गया, दुलहन को ये बता दिया जाये तो वो जरूर रोयेगी। 

"तुम्हारी आँखे नीली झील जैसी सुंदर हैं" कहने वाले तमाम आशिक मिजाज लफंडर जो उस लडकी के कभी XYZ रह चुके थे और उसके मोबाइल रिचार्ज से लेकर अधोवस्त्रों तक का इंतजाम करते थे, वो सभी लडकी के बेवफा होने व शादी जैसा कांड करने की खबर पाकर उसी झील में डूब मरे हैं, ये बात लडकी को बताई जाये तो वो जरूर रोयेगी।

गौरतलब है कि राधिका रानी को इस हाहाकारी कोर्स की इंस्पीरेशन एक शादी में जाकर मिली, जहां दुल्हन जरा भी नहीं रो रही थी। फिर उसकी कुछ सहेलियों ने एक दूसरे से कहा कि तुम शुरू करो हम तुम्हें फोलो कर लेंगी। किसी तरह हिम्मत जुटाकर एक ने शुरू भी किया तो उसकी एक्टिंग इतनी ज्यादा हो गई कि रोने की जगह सभी सहेलियां और दुल्हन पेट पकडकर हंसने लगी। 

राधिका रानी ने यहीं तय किया कि वो दुल्हन को रोने का कोर्स शुरू करेंगी। और केवल सात दिन में गला फाड छाती कूटा उत्सव करने का माहौल बना देने वाली हुनरमंद दुल्हन तैयार कर समाज को सौंपेगी, ताकि विदाई के समय मौजूद हर कोई कह सके कि देखो कितना प्यार करती है लडकी अपने परिवार से, जो परिवार को छोडकर नहीं जा पा रही। लेकिन मुझे डर है कि उस गमगीन माहौल को भंग करने वाले दुल्हे पैदा न हो जायें, उस गमगीन माहौल से आहत दुल्हों ने ये कह दिया कि "ज्यादा दु:ख है तो यही रूक जा" तो उस राधिका रानी के किये कराये पर तेजाब फैल सकता है। और मैं ऐसे छातीकूटा उत्सवों के माहौल पर तेजाब की एक बूंद पडती देखना नहीं चाहता।

गौरव सनाड्य

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